Add To collaction

लेखनी प्रतियोगिता -25-Feb-2022 सरहद के उस पार

शीर्षक = सरहद के उस पार 



 काश्मीर का वो हिस्सा जो पाकिस्तान में है और वहा एक गांव है जो बॉर्डर के नजदीक है बडा गांव  । सुबह के सात बजे । अब्बू मै जा रहीं हू जंगल से जड़ी बूटी लाने और तो कुछ नही लाना है आज मौसम काफी बेहतर है। इससे पहले की और ठंड शूरू हो जाए और जड़ी बूटियां बर्फ के नीचे धस जाए मै जा रहीं हू उनको लाने । घर से बाहर निकलते हुए रबिया कहती है अपने अब्बू शौकत से जो की एक हकीम है और उनके हाथ मै काफी शिफा है 

पहाड़ के सारे लोग उन्ही से अपना इलाज कराते है। हा बेटा तुम जाओ और कुछ नही चाहिए। संभाल कर जाना कोई जंगली जानवर तुम पर हमला ना करदे । और सरहद के नजदीक मत जाना अभी जंग का खतरा टला नही है ।अब बस खुदा के बाद मुझे तुम्हारा ही सहारा है बीवी और बेटा तो बोहोत जल्दी इस दुनिया से रुकसत हो गए । शौकत ने अपने दिल ही दिल मै कहा हकीम खाने से ही।

रबिया अपनी साइकिल पर गुनगुनाती हुई जंगल पोहोच जाती है। सुबह की वो धूप उन छोटे छोटे पौधो की पत्तियों  पर पड़ी ओस को ऐसा चमका रही होती है मानो आज पेड़ो की पत्तियों पर नायाब मोती उग आए हो।

वो जड़ी बूटी ढूंढते ढूंढते काफी आगे निकल जाती है। वो जड़ी बूटी तोड़ ही रही होती है की उसे किसी के कराहने की आवाज सुनाई देती है । वो समझी कोई जंगली जानवर है और वो अनसुना कर देती है। लेकिन थोड़ी देर बाद उसे फिर किसी के दर्द मै कराहने की आवाज सुनाई देती है।

वो उस आवाज को सुनते हुए उसके पीछे जाती है । तभी उसकी नज़र एक आदमी पर जाती है जो की जंग मै घायल हुआ होता है । वो डरते हुए उसके पास जाती है । तभी उसे उस के बदन पर भारतीय फौज की वर्दी दिखाई देती और वो डरके पीछे हट जाती । उसे देख उसे किसी की याद आ जाती  और वो  उसे छोड़ कर जाने लगाती दुश्मन मुल्क का सिपाही समझ कर 

लेकिन उसकी दर्द मै निकलती कराहटो उसके दिल मै इंसानियत की लो जला देती है । और वो उस के पास उसकी मदद को आती लेकिन वो एक हट्टा कट्टा ताकतवर जवान होता है । उसके वो कोमल हाथ उसे उठा नही पाते और वो घसीट कर उसे एक किनारे कर के कुछ पास पढ़े पत्तो से उसको ढक कर वहा से अपने अब्बू को बुलाने चली जाती है। अगर उसे वहा कोई इस हालत मै  देख लेता तो मार देता 


अब्बू अब्बू कहा है आप वहा जंगल मै एक हिंदुस्तानी ,,,,, कहते रुक जाती है अगर उसके अब्बू को पता चल जाता की वो हिंदुस्तानी फौज का सिपाही है तो वो कभी उसकी मदद को नही जाते । वहा जंगल मै एक आदमी दर्द से मर रहा है हमें उसकी मदद करना है ।

ये सुन शौकत और रबिया दोनो वहा से जंगल की और चले जाते है।
शौकत उसकी वर्दी देख कर । रबिया तुम ने मुझसे झूठ कहा की वहा एक आदमी जख्मी है जबकि ये हिंदुस्तानी फौजी है । मै इसकी मदद क्यू करू और तुम्हे भी नही करने दुंगा ।

अब्बू अगर मैं आप को बता देती तो आप नही आते । मै मानती हू ये हिंदुस्तानी फौजी है । और ये हमारा दुश्मन भी है लेकिन अब्बू वो सिर्फ बॉर्डर पर जब इसके हाथ मै भी हथियार हो और हमारे हाथ मै भी । लेकिन अब्बू अभी ये जख्मी है निहत्था है अभी ये हमारा दुश्मन नही एक मरीज है जिसे हम चाहें तो बचा कर एक जीवनदान दे सकते है।

नही बेटा नही मैं अभी पाकिस्तान आर्मी को फ़ोन करता हू वो ले जाएंगे अपने साथ मारना होगा मार देंगे जिन्दा रखना चाहे गै तो जिन्दा रखे गै । शौकत कहता है।

अब्बू आप जानते है वो इसे मार देंगे खुदा के लिए इसे उनके हवाले ना करें पहले इसे ठीक करते है मैं आपसे वादा करती हू । जब ये ठीक हो जायेगा तब इसे खुद पाकिस्तान आर्मी को सौप दूंगी । राबिया कहती है।

नही बेटा इसके साथ हम भी फस सकते है हमे भी देश का गद्दार समझा जाएगा । काफी देर दोनो मे बहस होती है । लेकिन शौकत उसका इलाज करने को तैयार ना होते।

तभी राबिया कहती अब्बू आपको इमरान भाईजान की कसम क्योंकि मैं जानती हू आप सबसे ज्यादा इमरान भाईजान की बात मानते थे । इसलिए आप उनकी कसम को नही तोड़े गै। अब्बू मै जानती हूं आप के लिए आसान नही है लेकिन अब्बू सब रिश्तों से बडा इंसानियत का रिश्ता होता है। और आप ही कहते थे की हकीम हो या डाक्टर वो कभी भी किसी का इलाज अपना या पराया सोच कर नही करता उसका मकसद सिर्फ केसे भी करके मरीज को ठीक करना होता है ।


अब्बू इस वक्त ये हमारा दुश्मन नही बल्कि हमारी दहलीज पर आया एक घायल इन्सान है जिसे हम अपनी कोशिश से बचा सकते है क्या पता हमारी इस कोशिश से किसी का शौहर किसी का बेटा और किसी का भाई उसे दोबारा मिल सकें । 

मेरा भाई तो लोट कर नही आ सकता क्यू ना किसी का भाई उसको लोटा दिया जाए । अब्बू लोग बुरे नही होते है अभी इस जगह हिंदुस्तान मै भी कोई हमारा सिपाही जख्मी हालत मै मिलता तो वो भी सबसे पहले उसका इलाज कराते बाद को जो फैसला करते वो करते ।

शौकत को राबिया की बाते समझ आई और वो चुपके से छिपा कर उसे गांव के सुनसान रास्ते से अपने घर ले आए उसके कुछ गोलियां लगी होती है और कुछ ऊपरी जख्म होते है।

गोलियां निकाल दी जाती है और जख्मों पर मरहम पट्टी बांध कर उसे आराम करने छोड़ दिया जाता है। राबिया उसके माथे पर ठंडे पानी की पट्टियां रखती ताकि उसका बुखार कम हो जाता ।

उन्होंने उसको एक खुफिया कमरे मे रखा क्योंकि गांव वाले दवाई लेने आते जाते रहते थे उसके घर अगर गांव मे किसी को भी पता चल जाता की इन्होंने दुश्मन को पनाह दी हैं तो उसके साथ साथ उन्हे भी जैल मै बंद कर दिया जाता ।

पन्द्रह दिन गुजर गए उसकी हालत मै कोई सुधार ना हुआ । एक दिन बस पानी मांगा और फिर बेहोश हो जाता है। क्योंकि जड़ी बूटियों का असर धीरे धीरे उसके मरहम को भर रहा होता है।

राबिया इसको पुलिस के हवाले कर देते है यहां इन जड़ी बूटियों से इसका इलाज सही नही हों पा रहा है शौकत कहता है। अब्बू आप जानते तो हैं वो लोग इसे कितना परेशान करेंगे ना तो इसका इलाज करेंगे और ना ही इसे मारेंगे । इसे तड़पता छोड़ देंगे 

जेसी तुम्हारी मर्जी । शौकत कहता है और वहा से चला जाता है। धीरे धीरे राबिया की मेहनत रंग लाने लगाती है तीन महीने बाद उसे पूरी तरीके से होश आ जाता है। अब्बू अब्बू देखे हिंदुस्तानी को होश आ गया मै कहती थी ना ये ठीक हो जायेगा। राबिया की खुशी का ठिकाना ना रहा।


कहा हू मै और ये क्या जगह है मैं कितने दिनों से यहां हू। वो पूछता है।
बताती हू सब बताती हू पहले ये पानी पी लो । वो पानी पीता है।

तुम्हारा नाम क्या है और तुम जख्मी कैसे हुए राबिया पूछती है ।

मेरा नाम शायद मेजर विक्रांत है मुझे कुछ याद नही में दुश्मनों का पीछा करते हुए आया था और फिर मुझ पर कुछ गोलियों से हमला हुआ और मैं पहाड़ से नीचे गिर गया ।

याद भी केसे होगा पिछले तीन महीने से सौ जो रहे हो यही बिस्तर पर पढ़े हुए। राबिया कहती है 

तीन महीने विक्रांत चोक कर कहता है और जब अपनी हालत देखता है बड़े बड़े बाल और दाढ़ी मूंछ तब यकीन होता है।

वैसे तुम कोन हो हिंदुस्तानी हो ये क्या जगह है पहले कभी नही देखी मैने विक्रांत राबिया से पूछता है ।
ये पाकिस्तान है और मैं पाकिस्तानी हू  मेरा नाम राबिया है मे अपने अब्बू के साथ उनके हकीम खाने में काम करती हू। ये सुन कर विक्रांत दोबारा चोक जाता है । और कहता है आखिर तुमने मुझे बचाया क्यू अच्छा मुझसे जानकारी हासिल करना चाहती हो अगर कुछ जानना चाहती हो तो अभी मार दो क्योंकि एक हिंदुस्तानी फौजी मर तो सकता है लेकिन अपने देश से गद्दारी नही कर सकता उठाओ चाकू और मार दो मुझे।

साहब मार तो मैं देती आपको अगर आप मुझको बॉर्डर पर बंदूक के साथ मेरे सामने खडे होते तब आप मेरे दुश्मन होते और मैं आप की लेकिन इस वक्त आप एक जख्मी सिपाही हो और मेरा फर्ज सबसे पहले आप की जान बचाना है । और हा आपको मार कर मुझे क्या मिलेगा बताए जरा और रही बात आप से कुछ मालूमात हासिल करने की तो मैं उस मालूमात का क्या करूंगी ।

अब आप आराम करें मे कुछ खाने का लाती हू आपके लिए । विक्रांत उसकी बाते सुन कही खो सा जाता है । और बिस्तर पर लेट जाता है ।


तीन दिन बाद 
राबिया अब वो हिंदुस्तानी ठीक हो गया है बेहतर है तुम अपना वादा पूरा करो और उसे आर्मी के हवाले कर दो । अब्बू अभि वो सिर्फ होश मै आया है जब तक चलने नही लगता मै उसे कहीं नही जाने दूंगी अपने भाई को तो मैं बचा ना सकी उसे ही बचा लू तो समझू गी इमरान भाईजान को बचा लिया ।

विक्रांत अंदर से उसकी बाते सुन रहा होता है। राबिया उसके कमरे मै आती है और उससे खाने का पूछती है ।
विक्रांत तुमने अपने अब्बू से झूट क्यू कहा की मैं चल नही सकता अभी और मुझे आर्मी के हवाले करने से क्यू डर रही हो मैं खुद जाना चाहता हू । क्योंकि हिंदुस्तानी फौजी कायर नही होता है वो डट कर मुकाबला करता है हर मुश्किल का 

राबिया, मै जानती हू आप एक बहादुर और बहिम्मत सिपाही हो लेकिन मैं नही चाहती की आपको आर्मी के हवाले करू जो आपसे सब कुछ जानने के लिए आपको इतना मारे की आपकी जान निकल जाए । मै नही चाहती कि मेरी वजह से किसी बच्चे के सिर से बाप का साया उठ जाए मां से उसका बेटा छीन जाए एक बीवी से उसका शौहर और एक बहन से उसका भाई । अपने देश के लिए जान देना अच्छी बात है लेकिन आप नही जानते की मरने वाले की यादों के साथ जीना कितना मुश्किल होता है । उस भाई को खो देना जो आपकी खुशी  के लिए कुछ भी कर गुज़र

मै जब भी आपको देखती हू मुझे आपके चेहरे में अपना भाई इमरान नज़र आता है जो आपकी तरह ही घायल हुआ था बॉर्डर पर लड़ते हुए लेकिन मैं उसे बचा ना सकी वो सिर्फ मेरा भाई नही था मेरा दोस्त था जिसके साथ मै अपने सारे दुख दर्द सांझा करती थी अम्मी के जाने के बाद वही था जिसने मुझे अम्मी से बड़ कर प्यार किया । अब्बू और मुझे संभाला 

लेकिन इस जंग ने मेरे भाई को मुझसे छीन लिया आखिर क्यो है ये जंग किस चीज़ की है ये जंग क्यू हर साल मुझ जेसी लड़किया अपने भाईयो को खो देती है । सिर्फ इस लिए की दो देश आपस में सुलह नही कर पाते और उसका फायदा सरकार उठा ले जाती है वो तो अपने बच्चो को नही भेजते जंग मै उनके बच्चे तो बाहर विदेशों मै पढ़ते हैं।

मै आपको आर्मी के हवाले नही करूंगी मैं नही चाहती की आपकी बहन भी अपने भाई के लिए तड़पे मै आज रात ही आप को यहां से निकल वा दूंगी।

उसकी ये बातें सुन विक्रांत रोने लगाता और उसे गले लगा कर कहता । मुझे भगवान ने मां और पिता दिए एक अच्छी बीवी दी जो जंग पर आने से पहले उसने मुझे मां बनने की खुशी दी बस एक बहन की कमी थी मै नही जानता की बहन कैसी होती है क्योंकि मुझे भगवान ने कोई बहन नही दी मुझे रक्षा बंधन पर हमेशा उससे शिकायत रहती की मेरी भी कोई बहन होती जो मुझे राखी बांधती और मैं उसकी हिफाजत का उससे वादा करता । लेकिन आज मेने देख लिया की बहन कैसी होती है जो अपने भाई की रक्षा के लिए अपने ही देश से गद्दारी कर के उसे बचा ले।

लेकिन मैं तुम्हे ऐसा करने नही दुंगा क्योंकी एक  फौजी सब कुछ हो सकता लेकिन कायर नही हो सकता जो अपनी बहन को खतरे मै छोड़ कर खुद भाग जाए तुमने मेरी जान बचाई मे तुम्हारा कर्ज दार हू और मैं उसका बदला तुम्हे मुश्किल मे छोड़ कर भाग कर नही दुंगा मै खुद पाकिस्तान आर्मी के पास जाउंगा और उन्हें सब कुछ बताऊंगा वाकी मेरी क़िस्मत हिंदुस्तान वापस जाता हू या यही कब्र मै उतार दिया जाता हू।


तभी राबिया विक्रांत का हाथ पकड़ कर अपने सिर पर रख कर कहती आपको इस बहन के सिर की कसम अगर आप आर्मी के पास गाए । मे जानती हू हिंदुस्तानी कसम निभाने के लिए अपनी जान की भी बाजी लगा सकते है। मे अपने भाई को तो नही बचा सकी लेकिन एक औरत के सुहाग और उसकी औलाद के पिता को जरूर बचा कर रहूंगी ताकि वो लोग मेरी तरह सिर्फ तस्वीर मे ही अपने को देख कर ना रो सके।

आप आराम करें । मै जाती हूं कुछ लोग है जो आपको सरहद पार करा देंगे और खुदा का वास्ता यहां से 
भागना मत यहां से वरना मैं दोबारा अपने भाई को खो दूंगी

उसकी बाते विक्रांत के दिल पर जाकर लग रहीं थी वो सोच रहा होता है कि सच मै इंसानियाती का रिश्ता सब रिश्तों से बडा होता है वो उसे मुश्किल मै डाल कर वहा से भागना नही चाहता था । लेकिन राबिया की कसम ने उसे रोक लिया और वो शाम का इतंजार करने लगा ।


शाम को , राबिया कल सुबह इस हिंदुस्तानि को तैयार कर देना आर्मी कैंप लेकर जाना है और तुम भी चलना साथ मे ताकि सब बता सको की आखिर क्यू हमने एक दुश्मन को अपने घर में पनाह दी। शौकत कहता है 

जी अब्बू जैसा आप कहे । अब आप सो जाए सुबह मुलाकात होती हे राबिया कहती है।

ठीक बारह बजे , राबिया विक्रांत के कमरे मैं आती है और उसे उठाती है। उठो भाईजान जाना है आपको । ये आवाज़ सुन विक्रांत घबरा कर उठ जाता है।

कहा जाना है  विक्रांत पूछता है।
अपनो के पास , अपने मुल्क अपने अम्मी अब्बू और बीवी बच्चो के पास हिंदुस्तान

लेकिन आप के अब्बू तो मुझे सुबह आर्मी कैंप ले जा रहे है। आप के साथ। आपने उनसे वादा क्या है। विक्रांत कहता है

नही उनको मै संभाल लूंगी आप बस खैरियत से अपने वतन हिंदुस्तान पोहोच जाए और इस बहन को याद रखना और मुझे भी तसल्ली रहेगी की मेरा एक भाई सरजमीन ए हिंदुस्तान मै रहता है । और वो भी मेरे इमरान भाईजान की तरह अपने देश की हिफाजत करने से कभी पीछे नहीं हटेगा । 

इसी के साथ वो अपने गले मे पड़ा एक सोने का लॉकेट देती और कहती ये उन आदमियों को दे देना वो इस के लालच मै आपको सरहद पार करा देंगे । 

ये देख विक्रान्त की आंखे झरने के समान बहनें लगाती और वो उसे गले लगा कर खूब रोता और कहता भगवान ने आज मेरी सुन ली मुझे एक बहादुर और दिलेर बहन दे दी अब मुझे उससे कोई शिकायत नही । और हा अगर मैं हिंदुस्तान पोहोच गया और मेरी बेटी हुई तो मैं उसका नाम राबिया ही रखूंगा चाहे घर वाले कोई भी नाम रखे में हमेशा उसे इस ही नाम से बुलाऊंगा ताकि मुझे हमेशा उसका नाम लेने पर याद रहे की मेरी एक बहन भी है जिसका नाम भी यही है और मैं मरते दम तक आप का नाम ना भूल पाऊं। 


अगली सुबह राबिया राबिया , हिंदुस्तानी कहा गया मै तुमसे कुछ पूछ रहा हूं । शौकत गुस्से से पूछता है।

भगा दिया मैने उसे अब तक तो वो अपने वतन चला भी गया होगा । गद्दार कही की दुश्मन को भगा दिया शौकत ने एक चाटा मारते हुए कहा ।

हा भगा दिया नही सोपा आर्मी को ताकि वो उस को मार देते और उसके बीवी बच्चे हमारी वजह से लावारिस हो जाते । अब्बू मेने देखा है आपको रात को इमरान भाईजान की तस्वीर हाथ मै लेकर रोते हुए अब्बू मै नही चाहती थी कि एक और लाश हमारे घर से निकले । आप सोचे जब उसके बीवी बच्चे और मां उसको सही सलामत देखे गै तो कितना खुश होंगे। ओर वो कोई गद्दार नही था वो एक मरीज था जो इलाज होने के बाद चला गया।

और वैसे भी गांव मै किसी को क्या पता कि हमारे घर में पिछले तीन महीने से कोन था ।

शौकत को राबिया की बाते सही लगी और वो दोनों अपने बेटे इमरान की फोटो देखकर खूब रोते है।



प्रतियोगिता हेतु लिखी कहानी 




   8
7 Comments

Abhinav ji

26-Feb-2022 10:42 AM

Nice

Reply

Mohammed urooj khan

26-Feb-2022 09:33 AM

शुक्रिया आप सब का तह दिल से

Reply

Zakirhusain Abbas Chougule

26-Feb-2022 12:53 AM

Bahut Marmik Rachna

Reply